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तूफान एन्जाइम प्लस

 तूफान एन्जाइम प्लस प्राड्डतिक तत्वों पर आधारित एक तरल पौध वर्धक है जो पौधों के प्राकृतिक वर्धन को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक तत्व प्रदान करता है। फसल वृद्धि में सहायक है। इसे जैविक खाद की पूरक मात्रा के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। तूफान एन्जाइम प्लस पूर्ण रूप से लाभदायक व वातावरण के प्रति अनुकूलन की क्षमता रखता है व पौधों का परिपूर्ण विकास करने में सहायक है। इसके एन्जाइम्स, हाइड्रोलाइज्म तत्व एवं प्राड्डतिक प्रोटीन काम्प्लैक्स पौधों की वानस्पतिक बढ़ोत्तरी में सहायक है।


(2)    तूफान एन्जाइम प्लस किन तत्वों से बना है - सूक्ष्म पोषक तत्व उर्वरकों के साथ तरल प्रोटीन (हाइड्रोलाइज्ड), एन्जाइम, समुंद्री घास का सत्व, नीलहरित शैवाल सत्व, जिब्रेलीन्स, ह्यूमिक एसिड एवं ऐमिनो एसिड आदि का उचित अनुपात में जलीय घोल है।


(3)    तूफान एन्जाइम प्लस कैसे काम करता है ? - यह वानस्पतिक उत्पत्ति व प्राड्डतिक सम्पदा पर आधारित हे व लगभगव सभी सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर है जो पौधों की वृद्धि एवं उत्पादन में सहायक होते हैं। इसे विभिन्न अवस्थाओं में दो बार फसल के ऊपर प्रयोग करने से अच्छे फल, फूल व उपज व उसकी गुणवत्ता में बढ़ोतरी होती हैं। इसका मुख्य तत्व एन्जाइम पौधे में नाइट्रोजन स्थ्रिकरण में सहायक होता है जिससे आवश्यक यूरिया की मात्रा मे कमी आती है। नील हरित शैवाल का सत्व पौधे की जड़ों में राजोबियम बैक्टिरिया की वृद्धि में सहायक होता है। समुंद्री घास का सत्व के प्रयोग से पौधे की जल धारण क्षमता का विकास होता है। जिब्रेलीन्स वृद्धि कारक हारमोन्स हैं जो कि पौधे की कम समय मे अधिक बढ़ोत्तरी में कारगर होते हैं। एमिनो एसिड पौधों की पाचन क्रिया को सूचारू रखने मे लाभदायक है । इसमें उपस्थित सूक्ष्म तत्व उर्वरक फसल में जिंक, लोहा, कॉपर, बोरोन, मैंगनीज आदि की पूर्ति करते हैं। 
(4)  
 तूफान एन्जाइम प्लस के लाभ :-
•     जड़ों का अधिक विकास होता है जिसके कारण पौधा पूर्ण विकसित होता है।
•     पौधे में पौष्टिक तत्वों को अवशोषित करने की क्षमता में वृद्धि होती है।
•    स्वस्थ फूल एंव फल अधिक मात्रा में लगते है एंव गिरते नही     है। 
•     भण्डारण क्षमता को बढ़ाता है।
•     अधिक पैदावार होती है।
(5)    
तूफान एन्जाइम प्लस का प्रयोग - तूफान एन्जाइम प्लस की एक लीटर मात्रा को 150-200 लीटर पानी में घोलकर प्रथम बार फसल के कम से कम 10 इंच की होने पर व दोबारा प्रथम स्प्रे के लगभग 40 दिन बाद पुनः प्रयोग करें।

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